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परमाणु सुरक्षा कानूनों में बदलाव पर उठे सवाल, अमेरिकी दबाव में सरकार?

भारत में वर्तमान कानून के तहत परमाणु दुर्घटना की स्थिति में परमाणु संयंत्र संचालक की अधिकतम देयता ₹1,500 करोड़ तक सीमित है

परमाणु सुरक्षा कानूनों में बदलाव पर उठे सवाल, अमेरिकी दबाव में सरकार?

नई दिल्ली, 13 फरवरी 2025 – भारत सरकार परमाणु ऊर्जा अधिनियम और परमाणु क्षति हेतु दीवानी देयता अधिनियम में बदलाव करने की योजना बना रही है, जिससे परमाणु आपूर्तिकर्ताओं की देयता (Liability) सीमित हो जाएगी। इस प्रस्ताव को लेकर विशेषज्ञों और विपक्ष ने कड़ी आपत्ति जताई है।

सरकार का तर्क है कि इन संशोधनों से विदेशी निवेश आकर्षित होगा और भारत की परमाणु ऊर्जा क्षमता बढ़ेगी। लेकिन आलोचकों का कहना है कि यह बदलाव अमेरिका के दबाव में किए जा रहे हैं, जिससे अमेरिकी कंपनियों को फायदा होगा और भारतीय नागरिकों की सुरक्षा को खतरा हो सकता है।

क्या है विवाद?

  • भारत में वर्तमान कानून के तहत परमाणु दुर्घटना की स्थिति में परमाणु संयंत्र संचालक की अधिकतम देयता ₹1,500 करोड़ तक सीमित है।
  • नए प्रस्तावित संशोधन से परमाणु आपूर्तिकर्ताओं (Suppliers) को किसी भी कानूनी देयता से पूरी तरह मुक्त किया जा सकता है।
  • विशेषज्ञों का कहना है कि अतीत में फुकुशिमा (2011) और थ्री माइल आइलैंड (1979) जैसी घटनाओं ने साबित किया है कि परमाणु दुर्घटनाओं में डिजाइन संबंधी खामियां भी बड़ी भूमिका निभाती हैं।

क्या कह रहे हैं विशेषज्ञ?
परमाणु नीति विशेषज्ञों का मानना है कि यदि आपूर्तिकर्ताओं की देयता हटा दी जाती है, तो वे सुरक्षा मानकों की अनदेखी कर सकते हैं, जिससे भविष्य में भयानक परमाणु दुर्घटनाओं की संभावना बढ़ जाएगी।

प्रख्यात अर्थशास्त्री डॉ. अरविंद मेहता ने कहा, “भारत को अपने नागरिकों की सुरक्षा को प्राथमिकता देनी चाहिए। अगर आपूर्तिकर्ताओं की जवाबदेही खत्म कर दी गई, तो यह बड़ी लापरवाही होगी।”

राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
विपक्षी दलों ने सरकार पर अमेरिकी दबाव में नीतिगत बदलाव करने का आरोप लगाया है। कांग्रेस नेता राहुल शर्मा ने ट्वीट कर कहा, “सरकार को विदेशी कंपनियों की चिंता है, लेकिन भारतीय नागरिकों की सुरक्षा से समझौता किया जा रहा है।”

वहीं, सत्तारूढ़ दल ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि ये संशोधन भारत की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने और विदेशी निवेश आकर्षित करने के लिए आवश्यक हैं।

निष्कर्ष

परमाणु सुरक्षा से जुड़े इस विवाद को लेकर देशभर में बहस तेज हो गई है। यदि सरकार इन संशोधनों को पारित करती है, तो यह भारत की परमाणु नीति और ऊर्जा सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ होगा। लेकिन सवाल यह है कि क्या सरकार विदेशी कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए अपने नागरिकों की सुरक्षा से समझौता कर रही है?

(Pratap News Live ki विशेष रिपोर्ट)

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