महंगाई में गिरावट, लेकिन क्या आम जनता को मिलेगा राहत का फायदा?
नई दिल्ली, 13 फरवरी 2025 – देश में महंगाई दर पिछले पांच महीनों के न्यूनतम स्तर पर आ गई है। जनवरी 2025 में खुदरा महंगाई दर 4.31% दर्ज की गई, जो दिसंबर 2024 में 5.22% थी। यह गिरावट भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की नीतियों और खाद्य वस्तुओं की कीमतों में आई नरमी का परिणाम मानी जा रही है।
खाद्य महंगाई में कमी, लेकिन चुनौतियां बरकरार
खाद्य पदार्थों की महंगाई दर 6% तक आई, जो दिसंबर में 8.4% थी। हालांकि, खाद्य तेल और फलों की कीमतों में इज़ाफ़ा हुआ है, जिससे आम जनता को पूरी राहत नहीं मिल पाई है।
शहरी बनाम ग्रामीण महंगाई:
- शहरी क्षेत्रों में महंगाई 3.87% तक घट गई, जो RBI के 4% के लक्ष्य से भी कम है।
- ग्रामीण क्षेत्रों में महंगाई 4.64% रही, जो दिसंबर में 5.8% थी।
RBI का बड़ा कदम – ब्याज दरों में कटौती
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए ब्याज दरों में 0.25% की कटौती की है। इसके चलते कर्ज़ और लोन लेना सस्ता हो सकता है, जिससे बाजार में निवेश और खर्च बढ़ेगा।
रुपये की कमजोरी से फिर बढ़ सकती है महंगाई?
हालांकि, अर्थशास्त्रियों ने रुपये में गिरावट को लेकर चिंता जताई है। अगर रुपया कमजोर होता रहा, तो आयातित वस्तुएं (जैसे कि खाद्य तेल, पेट्रोलियम और उर्वरक) महंगे हो सकते हैं, जिससे महंगाई फिर से बढ़ सकती है।
सरकार और विशेषज्ञों की राय
वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “महंगाई में गिरावट आर्थिक सुधार का संकेत है। हम इसे स्थायी बनाने के लिए जरूरी कदम उठा रहे हैं।”
वहीं, अर्थशास्त्री डॉ. अनिल गुप्ता ने कहा, “हालांकि आंकड़े अच्छे हैं, लेकिन आम आदमी को राहत तभी मिलेगी जब आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में स्थायी गिरावट आएगी।”
निष्कर्ष
महंगाई में कमी सरकार और RBI के लिए एक सकारात्मक संकेत है, लेकिन आम जनता को पूरी राहत नहीं मिली है। रुपये की कमजोरी और खाद्य तेल की बढ़ती कीमतें भविष्य में नई चुनौतियां पैदा कर सकती हैं। आने वाले महीनों में देखना होगा कि यह गिरावट टिकाऊ साबित होती है या फिर से महंगाई बढ़ने का खतरा मंडराने लगता है।
(Pratap News Live के विशेष रिपोर्ट)