भोंगापाल बुद्ध शांति पार्क स्थापना और मुख्यमंत्री तथा माननीयों का आगमन*.. *आप भी पधारकर ऐतिहासिक स्थल पर होने वाले ऐतिहासिक आयोजन का साक्षी बनिऐ*
आइये आप भी जरुर आईये इस ऐतिहासिक विशिष्ट आयोजन में , आपको पर्यटन का आनंद भी मिलेगा और दर्शन का भी ... स्वागतम् -🙏🙏

*भोंगापाल बुद्ध शांति पार्क स्थापना और मुख्यमंत्री तथा माननीयों का आगमन*..
*आप भी पधारकर ऐतिहासिक स्थल पर होने वाले ऐतिहासिक आयोजन का साक्षी बनिऐ*
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1 जून रविवार को प्रदेश के मुख्यमंत्री सहित पूर्व मुख्यमंत्री वर्तमान विधान सभा अध्यक्ष माननीय डां.रमनसिंह उपमुख्यमंत्री – गृह मंत्री माननीय विजय शर्मा जी , मंत्री – माननीय लखनलाल देवांगन जी, माननीय केदार कश्यप जी माननीय रामविचार नेताम जी सांसद द्वय – माननीय भोजराज जी नाग , माननीय किरंणसिंह देव जी , बस्तर संभाग के सभी माननीय विधायक – माननीय सुश्री लता उसेंडी जी, माननीय विक्रम उसेंडी जी , माननीय आशाराम नेताम जी , माननीय विनायक गोयल जी , माननीय चैतराम अटामी जी , माननीय लखेश्वर बघेल जी , माननीय विक्रम मंडावी जी , माननीय श्रीमती सावित्री मनोज मंडावी जी का अतिप्राचीन पवित्र धर्म स्थली – ” भोंगापाल ” के पावन भूमि पर होगा और अति विशिष्ट अतिथि बतौर इस गरीमा पूर्ण आयोजन में नागपुर के दीक्षा भूमि समिति के अध्यक्ष परम पूज्य भदन्त आर्य नागार्जुन सुरई ससई जी होंगे ।
अवसर होगा – ” बुद्ध महोत्सव ”
” बुद्ध शांति पार्क स्थापना ”
केशकाल विधायक माननीय नीलकंठ टेकाम जी के द्वारा आयोजित इस आयोजन को लेकर किए जा रहे भागीरथी प्रयास को लेकर लोग अपने अपने मति एवं मंशानुरूप अटकल लगा रहे हैं । वहीं नारायणपुर जिला तथा कांकेर जिला से सटे और कोंडागांव जिला के अंतिम छोर पर स्थित भोंगापाल में होने वाले इस आयोजन को लेकर पूरे क्षेत्रवासियों में गजब का उत्साह है क्योंकि आजादी के बाद पहली बार अपने नदी नाला जंगल पहाड़ से घिरे और नक्सलियों के आतंक के काली छाया के चलते दहशत से ग्रसीत क्षेत्र इस क्षेत्र में पहली बार पूरे बस्तर के सांसद विधायक तथा मंत्रीगंण को सांथ लेकर माननीय मुख्यमंत्री जी पधार रहे हैं ।
जिसकी खुशी और उत्साह से सरोबर लोगों में उम्मीद की किरंण जाग गई है क्योंकि उन्हें भरोसा है अपने विधायक माननीय नीलकंठ टेकाम पर जिन्होंने कलेक्टर के पद पर रहते जो किया वो कभी भूलाया नहीं जा सकता ।
2002 जून में सरकार ने कोंडागांव कलेक्टर के पद पदस्थ श्री नीलकंठ टेकाम को पदस्थ किया जो जिले के सबसे दुर्गम संवेदनशील क्षेत्रवासियों के लिए देवदूत सिद्ध हुए । कोंडागांव कलेक्टर का पद प्रभार ग्रहंण करने के बाद उन्होंने जब समीक्षा किया तो यह पाया कि केंद्र एवं राज्य सरकार के द्वारा स्वीकृत योजनाओं का लाभ जिले के क्षेत्र विशेष के सैकड़ों गांव के लोगों को नहीं मिल पा रहा है और सड़क पुलिया सरकारी भवन बनाने जो पैसा आया हुआ है उसका उपयोग नहीं हो पा रहा है वहीं नक्सलियों द्वारा किए गये स्कूल भवन पंचायत भवन राशन दुकान आंगन बाड़ी भवन सड़क पुलिया विध्वंस की सूची में सर्वाधिक क्षतिग्रस्त -प्रभावित -प्रताड़ित
और अतिसंवेदनशील क्षेत्र होने में अग्रणी रहने वाले क्षेत्र के तौर पर तस्वीर उभर कर आया । कार्यालय में बैठकर कर महज कागजी में जो हालत और हालात सामने आया उससे श्री नीलकंठ टेकाम द्रवित दुखित हो गये । उन्होंने जिले के सबसे दहशतगर्द क्षेत्र में जाकर अपनी आंखों से देखने का फैसला लिया । जाकर देखने के अपने फैसले के बारे में अपने मातहत विभाग के अधिकारियों कर्मचारियों को बताया तो सब भौचक्के रह गये और अधिकतर लोगों ने उधर जाना बहुत ख़तरनाक बताकर देखने जाने के फैसले को टाल देने का सलाह एक सच्चे शुभचिंतक के बतौर दिया । परन्तु श्री टेकाम अपने फैसले पर अडिग रहे और मात्र कुछ लोगों के सांथ बाईक में ही जा जाकर अंदरुनी क्षेत्रों का जायजा लेना और नक्सलियों द्वारा ध्वस्त किए गये शाला भवनों राशन दूकान एवं अन्य सरकारी भवनों के मरम्मत का काम तथा आवागमन व्यवस्था दुरुस्त करने के साथ स्वीकृत सरकारी निर्माण कार्यों को शुरू कराना प्रारंभ कर दिया । काम शुरू कराना और शुरु हुए काम को पूरा कराने का मुहिम चलाते हुए खुद लगातार मौके पर पहुंचकर स्थानीय ग्रामवासियों से वार्तालाप कर उन्हें सहयोग देने प्रेरीत करते उनका हौंसला बढ़ाने में जुट गये । बहुत जल्दी ही लोगों को यह भरोसा हो गया की ऐ कलेक्टर हमारे यहां का काम करायेगा । क्षेत्रवासियों का विश्वास अर्जित करने के बाद बड़ी द्रूत गति से स्वीकृत लम्बित निर्माण कार्यों को शुरू कराकर पूरा करने में जुट गये । देखते ही देखते परिदृश्य बदलने लगा दहशत के चलते खामोशी साधे दूरी बनाकर रहने वाले लोग भी सामने आने लगे । भला हो पूर्व प्रधानमंत्री स्व.अटलबिहारी बाजपेयी जी का जिनके द्वारा गांव गांव को जोड़ने बनाये गये प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के बदौलत केंद्र सरकार से जमकर पैसा आने लगा और फटाफट सड़क पुलिया बनना चालू हो गया । श्री नीलकंठ टेकाम सड़क पुलिया को बनवाने में बहुत खास ध्यान दिया और प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के अलावा अन्य फंडो से भी सड़क पुलिया बनवाना शुरू कर दिया जिससे अधिकतर गांव सड़क से जुड़ गये । कच्ची सड़क और बगैर सड़क पुलिया के चलते जिन गांव एवं पारा मोहल्ला के लोगों का घर एवं गांव से निकलकर पड़ोस के गांव में और हाट बाजार अस्पताल ब्लाक आफिस तहसील आफिस जाने के लिए भारी मशक्कत करनी पड़ती थी वो सड़क पुलिया बन जाने से बड़े आराम से बहुत कम समय में सफर तय करके जाने आने लगे । सड़क पुलिया ने जीवन को गति देने के सांथ उर्जा और आत्मविश्वास का संचार कर दिया जिससे उनके खुद के विकास और खशिहाली में बढ़ोतरी हुई । गांव गांव मोटरसाइकिल – ट्रैक्टर -चारपहिया वाहनों की संख्या में तेजी से इजाफा होने लगा । श्री नीलकंठ टेकाम ने सैंकड़ो सड़क हजारों पुल पुलिया बनवाकर लोगों को आवागमन की सुविधा सुलभ कराने का पुनीत कार्य करने के सांथ सांथ सरकार के द्वारा समाज के गरीब किसान जवान माताओं बहनों के हित में संचालित किए जाने वाले योजनाओं का लाभ हर पात्र को मिले इसके लिए अपने मातहतों से समय समय पर सभी योजनाओं के क्रियान्वयन तथा लाभान्वित लोगों की जानकारी लेते दिशा निर्देश देते रहे । जिसका यह सुखद परिणाम देखने को मिलने लगा कि हर गांव गरीब किसान को सरकारी योजना का लाभ बड़ी आसानी से मिलने लगा वृद्ध विधवा नि:शक्त निराश्रितों को भी समय पर पैंशन पैसा मिलने लगा ।
इन सबके अलावा पढ़ने वाले बच्चों को पढ़ाई कर अपना भविष्य संवारने का अवसर मिलने लगा और जो गांव वाले नक्सलियों के आतंक के चलते डर डर कर जीने को लाचार होकर मौन रहने को आदी हो चुके थे और जंहा राष्ट्रीय पर्व पंद्रह अगस्त – 26 जनवरी को राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा फहराने का साहस नहीं जुटा पाते थे उन्होंने राष्ट्रीय पर्व पर अपना प्रांण प्यारा तिरंगा फहराकर राष्ट्र गीत गाकर बड़े गर्व से वंदे मातरम् भारत माता की जय का जयकारा लगाना आरंभ कर दिया ।
श्री नीलकंठ टेकाम के अथक प्रयास से अंदरूनी दुर्गम क्षेत्रों में सड़क बन गया तथा बरसात के दिनों में जिन नदी नालों में बाढ आ जाने से वंहा से आना जाना बंद हो जाता था वहां भी पुल पुलिया बन गया और जिले के दक्षिण छोर में स्थित मर्दापाल से जिले के अंतिम छोर के उत्तर में स्थित खाले मुरवेंड तक 150किलो मीटर लम्बाई का ” लिंगों पथ ” नक्सलियों के मांद माने जाने वाले गांव से होते बनवाने का कार्य श्री नीलकंठ टेकाम ने किया ।
श्री नीलकंठ टेकाम ने अपने काम से लोगों का भरोसा अर्जित करने के साथ लोगों के दिल में अपनत्व भरा आत्मिय सम्मान भी स्थापित कर लिया जिसके फलस्वरूप श्री टेकाम का गांव पंहुचने पर गांव के लोगों द्वारा ढोल नगाड़ा मोहरी बाजा नाच गाना फूल माला से जोरदार स्वागत किया जाने लगा जो तत्कालीन नेताओं को रास नहीं आया और वो श्री टेकाम को जिला कलेक्टर के पद से हटाने के लिए ऐड़ी चोटी एक करके जुट गये । तत्कालीन सत्तारूढ़ नेताओं के लगातार मशक्कत के बाद अंततः 2022को श्री नीलकंठ टेकाम को राज्य सरकार द्वारा कोंडागांव जिला कलेक्टर के पद से हटा दिया ।
श्री नीलकंठ टेकाम के द्वारा प्रारंभ कराया गया मक्का प्लांट पूरा नहीं हो पाया और जिले के अनेकों प्रस्तावित काम अटक कर रह गये जो क्षेत्रवासियों को अखर गया ।
श्री नीलकंठ टेकाम का इस दरम्यान गांव गांव के लोगों से सीधे ब्यक्तिगत आत्मिय संबध बन गया था ।
श्री नीलकंठ टेकाम जी कलेक्टर के पद पर रहते हुए भोंगापाल के अतिप्राचीन पुरातात्विक पुरावशेषों की माली हालत को देखकर दुखी चिंतित होकर इन्हें बचायें रखने के लिए वहां पर जरूरी काम कराते शेड निर्माण करवा दिया था ।अगर धूप बरसात पशुओं से और अनावश्यक क्षति पंहुचाने वाले खुराफातियों से बचाने के लिए श्री नीलकंठ टेकाम ने अपने कलेक्टर पद के प्रभाव एवं अधिकार का उपयोग करते शेड निर्माण न कराये होते तो पता नहीं आज इन अतिमहत्वपूर्ण ऐतिहासिक धार्मिक धरोहरों की क्या हालत होती -? यह कल्पना भी नहीं किया जा सकता ।
श्री नीलकंठ टेकाम का काम करने करने का अपना अंदाज ही अलग है क्योंकि वो बने बनाये लीक से हटकर काम करने वाले शख्स है । जोखिम चुनौती स्वीकार करना और लक्ष्य को पाने के हर संभव प्रयास करते रहना – हार न मानना और लक्ष्य पाकर जीत का परचम लहरा कर दम लेना उनकी फितरत में शामिल हैं । और इसी फितरत और दृढ़ इच्छाशक्ति के चलते ही आई.ए.एस. आफिसर के सुख सुविधा सम्मान अवसर का परित्याग करके चुनावी अखाड़े में कूद पड़े और अंततः जीत हासिल करके अपने सपने एवं संकल्प को साकार करने में जुटे हुए हैं ।
राजनीति में पदार्पण करने के बाद श्री नीलकंठ टेकाम अन्य नेताओं की नकलबाजी न करके अपने ही अंदाज से अपने ज्ञान एवं प्रशासनिक अनुभव के आधार पर दूरगामी परिणाम को लक्ष्य बनाकर पूरी दूरदर्शिता से काम को अंजाम देने और क्षेत्रवासियों के समस्या का स्थाई समाधान करने और विकाश का आधार तैयार करने में जुटे हुए हैं उसी का एक मिशाल है – 1अप्रेल को भोंगापाल में आयोजित होने वाला बुद्ध महोत्सव और बुद्ध शांति पार्क की स्थापना ।
प्रदेश के मुख्यमंत्री माननीय विष्णुदेव साय जी -पूर्व मुख्यमंत्री डां.रमनसिंह जी एवं छत्तीसगढ़ शासन के माननीय उपमुख्यमंत्री /गृहमंत्री – मंत्रीगण और बस्तर संभाग के माननीय सांसद द्वय व तथा सभी सम्माननीय विधायक महोदयों के आतिथ्य – उपस्थिति में और हजारों हज़ारों जनसमुदाय के गौरवशाली हाजिरी में होने वाला कार्यक्रम महज भोंगापाल ही नहीं बल्कि पूरे क्षेत्र तथा पूरे कोंडागांव जिला को पूरे देश दुनिया के मानचित्र में एक नई पहचान – प्रतिष्ठा तथा एक नया आकर्षंण प्रदान करते उन्नति और खुशहाली का आधार सिद्ध होगा ।
” शांति के द्वार से समृद्धि का आगमन होता है ” और 1जून को भोंगापाल में बुद्ध शांति पार्क की रखी जाने वाले आधारशिला का जो सुखद परिणाम भविष्य में देखने को मिलेगा वो हम शहर के पढ़े लिखे शिक्षीत लोगों को भले समझ में न आए पर गांव के जो पढ़े कम है पर गढे ज्यादा है उन्हें समझ में आ रहा है और उसके चलते पूरे क्षेत्रवासी पूरे मनोयोग से जुटे हैं आयोजन को सफल सार्थक बनाने में ।
आइये आप भी जरुर आईये इस ऐतिहासिक विशिष्ट आयोजन में , आपको पर्यटन का आनंद भी मिलेगा और दर्शन का भी …
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