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डॉक्टर निधि सोनकर का आयुर्वेद पर सारगर्भित उद्बोधन*

 

 

गरियाबंद! स्थानीय सरस्वती शिशु मंदिर में सरस्वती शिशु मंदिर मुंगेली के पूर्व छात्र *डॉक्टर निधि सोनकर* ने आयुर्वेद के विभिन्न पहलुओं पर एक सारगर्भित उद्बोधन दिया। इस उद्बोधन में निम्नलिखित विषयों पर विस्तार से चर्चा की गई:

1. *त्रिदोष एवं पंचमहाभूत परिचय*: आयुर्वेद के अनुसार त्रिदोष (वात, पित्त, और कफ) और पंचमहाभूत (पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, और आकाश) की परिचय और महत्व।
2. *त्रिदोषानुसार शरीर की प्रकृति*: व्यक्ति की प्रकृति को त्रिदोष के आधार पर कैसे निर्धारित किया जाता है और इसका महत्व।
3. *प्रकृति अनुसार आहार विहार*: व्यक्ति की प्रकृति के अनुसार आहार और विहार के चयन के बारे में चर्चा।
4. *ऋतुचर्या*: विभिन्न ऋतुओं में स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए आयुर्वेदिक उपाय और दिनचर्या।
5. *नाडी परीक्षण विधि*: आयुर्वेद में नाडी परीक्षण की विधि और इसके माध्यम से स्वास्थ्य का आकलन कैसे किया जाता है।
6. *प्रकृति अनुसार व्यवसाय चयन*: व्यक्ति की प्रकृति के अनुसार व्यवसाय का चयन कैसे किया जा सकता है और इसका महत्व।

डॉक्टर निधि सोनकर का यह उद्बोधन आयुर्वेद के प्रति जागरूकता बढ़ाने और लोगों को स्वस्थ जीवन जीने के लिए प्रेरित करने में मददगार होगा। सरस्वती शिशु मंदिर गरियाबंद के प्राचार्य श्री चैन सिंह बघेल ने उद्बोधन के अंत में धन्यवाद ज्ञापित किया

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